मेलेनोमा
मेलेनोमा एक किस्म का कैंसर है जो आमतौर पर त्वचा में शुरू होता है, लेकिन यह आंखों और नाक के आसपास, नाखूनों के नीचे या भीतर, या गले और वजन से संबंधित क्षेत्रों में भी विकसित हो सकता है। यह कैंसर त्वचा के पिगमेंट को उत्पन्न करने वाले कोशिकाओं से होता है, जिन्हें मेलेनोसाइट कहा जाता है।
लक्षण:
1.निखारित दाग या घेरे: मेलेनोमा का पहला संकेत अक्सर त्वचा पर निखारित दाग या घेरे के रूप में दिखाई देता है, जिसका रंग असमान हो सकता है।
2.नीला या काला बदलाव: मेलेनोमा के बढ़ते हुए रूप में, दाग का रंग नीला या काला हो सकता है।
3.बढ़ती हुई आकृति: जब मेलेनोमा बढ़ता है, तो दाग का आकृति बढ़ सकता है और उसके किनारे अनियमित हो सकते हैं।
4.खुजली या दर्द: अगर मेलेनोमा किसी के शरीर में है तो कभी-कभी यह दर्द कर सकता है या खुजला सकता है।
5.स्थानांतरण: मेलेनोमा अन्य शरीर के हिस्सों में भी फैल सकता है, जिससे स्थानांतरण हो सकता है।
कारण:
1.अधिक सूर्य की किरणों का प्रभाव: अधिक समय तक सूर्य की किरणों का सीधा संपर्क होना मेलेनोमा के लिए एक कारण हो सकता है।
2.उच्च सूची वाले व्यक्तिगत आश्रय: जिन लोगों की त्वचा में बहुत सूची होती है, वे मेलेनोमा के लिए अधिक प्रवृत्त हो सकते हैं।
3.गहरा काला त्वचा रंग: जिन लोगों का त्वचा रंग गहरा काला होता है, उन्हें सूर्य की किरणों का प्रभाव अधिक होता है और वे मेलेनोमा के लिए अधिक प्रवृत्त हो सकते हैं।
4.सूर्य बर्फ से संरक्षण की कमी: जिन लोगों को सूर्य से संरक्षित रहने की कमी होती है, उन्हें मेलेनोमा का खतरा बढ़ सकता है।
प्रकार:
1.सुपरफिशियल स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा (SSCC): यह कैंसर त्वचा के ऊपरी परत में होता है और अक्सर सूर्य की किरणों के प्रभाव से होता है।
2.बासल सेल कार्सिनोमा (BCC): यह एक और सामान्य प्रकार का कार्सिनोमा है जो त्वचा के निचले हिस्से में होता है और यह अक्सर सूर्य की किरणों के सीधे प्रभाव से होता है।
3.मेलेनोमा: यह त्वचा के पिगमेंट कोशिकाओं से होता है और अगर जल्दी पकड़ा न जाए, तो यह अन्य शरीर के हिस्सों में भी फैल सकता है।
उपचार:
1.कीमोथेरेपी: केमोथेरेपी एक उपचार है जिसमें शरीर को कैंसर को शांत करने के लिए दवाओं का संयोजन किया जाता है।
2.रेडिएशन थेरेपी: इसमें कैंसर को श्रृंगार करने के लिए उच्च ऊर्जा के रेडिएशन का उपयोग किया जाता है।
3.सर्जरी: सर्जरी का उपयोग कैंसर को निकालने या कम करने के लिए किया जा सकता है।
4.इम्यूनोथेरेपी: इस उपचार में रोगी के शरीर की रोग प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के लिए उच्च स्तर के इम्यून सिस्टम स्तरों का उपयोग किया जाता है।
टारगेटेड थेरेपी: इसमें कैंसर को नष्ट करने के लिए विशिष्ट मोलेक्यूल्स को लक्षित किया जाता है।
उपचार का चयन रोगी के स्थिति, कैंसर के प्रकार और स्थानांतरण की गंभीरता पर निर्भर करता है, और इसमें चिकित्सक की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
निदान
कैंसर का निदान चिकित्सक द्वारा किया जाता है और यह कई विभिन्न तकनीकों का संयोजन करके हो सकता है। निम्नलिखित कुछ सामान्य तकनीकें शामिल हो सकती हैं:
1.बार्गी की जाँच (Biopsy): यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें संदेहित क्षेत्र से एक छोटा सा टुकड़ा निकाला जाता है और इसे अनलैब में जाँचा जाता है ताकि कैंसर की पुष्टि की जा सके।
2.इमेजिंग टेस्ट्स: इमेजिंग टेस्ट्स जैसे कि एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, और पेट स्कैनिंग इस्तेमाल किए जा सकते हैं ताकि कैंसर की विस्तार से जाँच की जा सके और उसका स्थान स्थापित किया जा सके।
3.ब्लड टेस्ट्स: कुछ ब्लड टेस्ट्स कैंसर के मार्कर्स की मात्रा को मापने के लिए किए जा सकते हैं।
4.एंडोस्कोपी: इस तकनीक में, एक एंडोस्कोप (एक लंबा और पतला इंस्ट्रूमेंट) का उपयोग किया जाता है जिससे शरीर के अंदरीक्षेत्रों की जाँच की जा सकती है।
5.पीट स्कैनिंग: यह तकनीक कैंसर के स्थान और उसके विस्तार की जाँच के लिए किया जाता है, विशेषकर स्कैनिंग ट्रेसर के साथ।
निदान के लिए ये तकनीकें संयोजन की जा सकती हैं और चिकित्सक तकनीक का चयन रोगी की स्थिति और आवश्यकताओं के आधार पर करेगा।