जीव क्या है
जीव, जीवात्मा या जीवन वस्तु जीवन की अद्वितीयता और संजीवनी शक्ति की स्थिति है, जो जीवित होती है या जीवित रह सकती है। इस शब्द का उपयोग विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में होता है, और इसका अर्थ विभिन्न सांस्कृतिक समृद्धियों में भिन्न हो सकता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, जीव जोड़ीय और अजोड़ीय जीवों से मिलकर बनता है, जिनमें सेल जीवन की केंद्रीय इकाई है। सभी जीवों का निर्माण समान तत्वों से होता है, जैसे कि कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस, और सल्फर। जीवों की सामान्य विशेषताएं शामिल हैं ऊर्जा प्राप्ति, प्रतिस्थापन, विकास, और प्रतिरक्षा क्षमता।
सामान्यत: जीव एक संगठित सार्वभौमिक तंतु होता है जो अपने आत्मनिर्भर जीवन के लिए ऊर्जा, ऊर्जा के स्रोत, और प्रकृति से संवाद करता है। इसमें जन्म, विकास, प्रजनन, और मृत्यु जैसी प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं।
जीव कितने प्रकार होते है
जीव (जैव) विज्ञान में, जीवों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है जो उनकी सामान्य गुणधर्मों और संरचनाओं पर आधारित होती हैं। यहां कुछ मुख्य प्रकारों की चर्चा की गई है:
1.प्रोकारियोटिक और यूकारियोटिक: जीवों को प्रोकारियोटिक (जिसमें कोशिकाओं के अंदर एक अकेला कण होता है, जैसे कि बैक्टीरिया और आर्की) और यूकारियोटिक (जिसमें अलग-अलग कोशिकाएं होती हैं, जैसे कि जन्तु, पौध, और फंगस) में विभाजित किया जा सकता है।
2.वनास्पति (पौध): जीवों को वनास्पतियों और जन्तुओं में विभाजित किया जा सकता है। वनास्पतियाँ एक स्थायी स्थिति में रह सकती हैं, जबकि जन्तुए चल सकती हैं और अपने आत्मा को स्थानांतरित कर सकती हैं।
3.एककोशी और बहुकोशी: जीवों को एककोशी (जिसमें एक ही कोशिका होती है, जैसे कि अमीबा) और बहुकोशी (जिसमें एक से अधिक कोशिकाएं होती हैं, जैसे कि मानव) में विभाजित किया जा सकता है।
4.आर्गेनेल और निरार्गेनेल जीव: जीवों को उनकी कोशिकाओं में आर्गेनेल (जैसे कि मितोकॉंड्रिया, गोल्जी बॉडी, और इन्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम) की उपस्थिति और अभाव के आधार पर विभाजित किया जा सकता है।
यह थे कुछ मुख्य प्रकार केवल जीवों के हैं, जो इस प्रकार से उन्हें समझा जा सकता है, लेकिन वास्तविकता में, जीव समृद्धि और विविधता का अद्भूत संगम है, और इसमें अनगिनत रूपों और प्रकारों के जीवों का समृद्धि से बना है
क्या मनुष्य एक जीव है?
जीव जंतु में क्या अंतर होता है
जीव जंतु और जीवविभिन्नता के बारे में बात करते हैं, इसमें कई विभिन्न विशेषताएं हो सकती हैं। यहां कुछ मुख्य अंतर दिए जा रहे हैं:
1.कोशिका संरचना: जंतुओं की कोशिकाएं अधिकांश एक कठिन कोश से ढकी होती हैं, जो उन्हें स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है। मुख्यत: कोशिकाएं जीव जंतु में सहारा होती हैं, जबकि कुछ जीवविभिन्नता में एकजुट विभाग हो सकता है, जिसे प्रोकारियोटिक कहा जाता है।
2.संरचनात्मक विविधता: जंतुओं में बहुत ज्ञात कोशिका विभिन्न संरचनाएं होती हैं, जैसे कि न्यूक्लियस, मितोकॉंड्रिया, गोल्जी बॉडी, और इंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम। जीव जंतु में इस प्रकार की संरचनाएं हो सकती हैं, लेकिन विभिन्नता में कुछ सामान्य जीवविभिन्नता ज्यादातर आत्मविकास क्षमता पर निर्भर करती है।
3.आत्म-चलने की क्षमता: जंतुओं की एक मुख्य विशेषता यह है कि वे स्वतंत्रता से आत्म-चलने कर सकते हैं, यानी वे अपने आत्म-चलन की योजना बना सकते हैं और अपने आत्म-चलन के लिए निर्धारित हो सकते हैं। जीवविभिन्नता में यह क्षमता कम हो सकती है या पूरी तरह से न भी हो।
4.शरीर की शक्ति संरचना: जंतुओं का शरीर विशेष रूप से अंगद और संरचित होता है, जिसमें विशेष अंग, उत्तक, और संगत तंतुएँ होती हैं जो उन्हें उनके विशेष आवासों और जीवनशैली के लिए अनुकूल बनाती हैं।
इसके अलावा, जंतुओं और जीवविभिन्नता में अनेक और अंतर हो सकते हैं, और यह बहुत विस्तृत और उच्च स्तर की चर्चा है
पृथ्वी पर कितने जीव हैं?
पृथ्वी पर अनगिनत संख्या में जीव हैं, जो विभिन्न प्रकारों और पर्यावरणों में पाए जाते हैं। यह जीवों में मानव, पौधों, जीवाणु, कीटाणु, समुद्री जीव, पक्षियाँ, और जानवरों जैसे अनेक जीवाणुओं को शामिल करता है।
कुछ जीवों को नंबर करना मुश्किल है क्योंकि वे मामूल्यन छोटे हो सकते हैं और विभिन्न प्राकृतिक प्रणालियों में हो सकते हैं। विज्ञानिक और शोधकर्ताओं का काम जारी है, और नए जीवों की खोज और वर्गीकरण हो रहे हैं।
समुद्रों, उच्च वन्यजीव, भूगर्भीय जीव, और अन्य स्थानों पर जीवन के अद्भूत और सांविदानिक रूपों की खोज करने से विज्ञान आगे बढ़ रहा है। इसलिए, पृथ्वी पर कुल जीवों की अच्छी तरह से गणना करना बहुत मुश्किल है, लेकिन यह निश्चित है कि यह अद्भूत संख्या में है |
दुनिया में कुल कितने जीव है?
जीवों की एक सटीक संख्या प्राप्त करना मुश्किल है, क्योंकि बहुत सारे जीवाणु, कीट, पौधों, समुद्री जीवों, और अन्य संजीवन जीवों का अगलता संग्रहण करना विशेष रूप से कठिन है। बहुत से जीव छोटे होते हैं और विभिन्न प्राकृतिक पर्यावरणों में सुपरूप रहते हैं, जिससे उन्हें गिनना मुश्किल होता है।
साथ ही, नए प्रजातियों की खोज हमेशा जारी है, और वैज्ञानिक और शोधकर्ताएँ नई जीवनफॉर्म्स का अन्वेषण कर रही हैं। इसके अलावा, बहुत से जीवों को जंगलों, समुद्रों, और अन्य अपने प्राकृतिक आवासों में समृद्धि छुपा रहता है जिससे उन्हें खोजना और गिनना और भी मुश्किल होता है।
इसलिए, एक सटीक और पूर्ण संख्या प्रदान करना असम्भव है। हालांकि, वैज्ञानिक समुदाय नई जीवविभिन्नता की खोज और डेटा संग्रहण के माध्यम से संख्या को सुधारने का काम कर रहा है
दुनिया में पहला जीव कौन सा है?
सामान्यत: जीवन की उत्पत्ति से संबंधित सबसे पुरानी प्राप्त जीव आमतौर पर जीवाणु माने जाते हैं। जीवाणुओं के प्राचीन रूप भूमि पर लाभकारी रहे हो सकते हैं और उनकी उत्पत्ति संबंधित थी। हालांकि, यह भी सुनिश्चित नहीं है कि जीवाणु ही पहले जीव थे या कि अन्य रूपों में भी जीवन हो सकता है जिसका पता हमें अभी तक नहीं चला है।
यह विषय विभिन्न विद्वानों के बीच वाद का केंद्र बना हुआ है और यह अभ्यन्तरीय और अंतरिक्ष अनुसंधानों के साथ जोड़कर जीवन की उत्पत्ति की पूरी तस्वीर प्रदान करने का प्रयास है
दुनिया का सबसे सरल जीव कौन सा है?
जीवन के सरलतम रूप में जीवों की विविधता है, लेकिन कुछ मामूल्यन सरल जीवों को साधारित किया जा सकता है। सामान्यत: से, बैक्टीरिया और जानवरों के अद्भूत सरल रूपों को सरल माना जा सकता है।
बैक्टीरिया एक सेल से बना हुआ सरल संरचना वाला जीव है। इनमें कोशिकाएं होती हैं, लेकिन वे अकेली कोशिका से बहुत मुक्त होती हैं और उनका संरचना बहुत सरल हो सकता है। बैक्टीरिया अनेक प्रकार की अद्भूत प्रजातियों में पाई जाती हैं, जिनमें कुछ जीवों को प्रोकारियोटिक जीव कहा जाता है।
जानवरों में, स्पंज (Porifera) जैसे जीव सरल स्त्रक्तुर और सरल संरचना के साथ होते हैं। इनमें अकेली स्त्रक्तुर और स्त्रक्तुर की अभ्यंतरीय समागम होता है और इन्हें प्राचीनतम जानवरों में से एक माना जाता है।
यह सरल जीवों के रूपों में से कुछ हैं, लेकिन सरलता का अर्थ है कि उनकी संरचना और जीवन प्रक्रियाएं अधिक साधारित हैं और उनमें कम संरचनात्मक विविधता है
जीव को कितने भागों में बांटा गया है?
जीव को सामान्यत: दो मुख्य भागों में बांटा गया है: प्रोकारियोटिक और यूकारियोटिक।
प्रोकारियोटिक जीव: इसमें केवल एक कोशिका होती है, जिसे प्रोकारियोट (Prokaryote) कहा जाता है। प्रोकारियोटिक कोशिका में नकारात्मक नहीं होता है और उसमें नकारात्मक जीवाणुओं और आर्किया जैसे जीवों को शामिल किया जाता है।
यूकारियोटिक जीव: इसमें एक या एक से अधिक यूकारियोटिक कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें यूकारियोट (Eukaryote) कहा जाता है। यह भूमि पर सभी विभिन्न रूपों के जीवों, जैसे कि पौधों, जन्तुओं, और फंगस, को शामिल करता है। यूकारियोटिक कोशिका में स्थायी नकारात्मक होता है और उसमें अलग-अलग अंग और आर्गेनेल्स (जैसे कि मितोकॉंड्रिया और गोल्जी बॉडी) होते हैं।
यह दो बड़े श्रेणियों में जीवों को विभाजित करने का एक सामान्य तरीका है, लेकिन इसके अलावा भी विभिन्न श्रेणियां और विवादास्पद मुद्दे हो सकते हैं
मनुष्य का पूरा नाम क्या है?
जंतु के जनक कौन है?
भारत में कुल कितने जीव हैं?
जीव कैसे बनता है?
चींटी से छोटा जीव कौन सा है
चींटी से छोटा जीव अनेक प्रकार के हो सकते हैं, और इसमें कई छोटे जीवाणु, कीटाणु, और अन्य सुक्ष्मजीव शामिल हो सकते हैं। कुछ उदाहरण:
1.परमाइसियम (Amoeba): यह एक सुक्ष्मजीव है जो कीटाणु की तरह दिखता है और सामान्यत: छोटे जल स्रोतों में पाया जा सकता है।
2.पैरामोशिया (Paramecium): यह भी एक सुक्ष्मजीव है और उच्च जल स्रोतों में पाया जा सकता है। इसका शरीर चिकना होता है और विभिन्न सुक्ष्म उंगलियों के साथ होता है जिससे यह अपने आहार को ग्रहण करता है।
3.रोटिफेरा (Rotifers): ये भी छोटे सुक्ष्मजीव हैं और जल स्रोतों और ऊँचे बगीचों में पाए जा सकते हैं।
4.सी. इलेगन्स (Caenorhabditis elegans): यह भी एक छोटा नेमैटोड जीव है जिसे पूरी दुनिया में पाया जा सकता है।
ये छोटे जीव अपने आवासीय आसपास के पर्यावरण में रहकर अपना आहार प्राप्त करते हैं और अपने पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं
पृथ्वी पर कितने जीवन हैं?
पहला जीव कैसे पैदा हुआ?
जीवन की उत्पत्ति का सटीक प्रक्रिया और स्थिति विभिन्न धाराओं और सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें बहुत सारी अज्ञात तथ्य हैं। वैज्ञानिक समुदाय में इस पर विभिन्न विचार हैं और तथ्यों की अभी तक कमी है।
1.अवकाशवाद (Abiogenesis): यह सिद्धांत कहता है कि जीवन अवाक्य या अजीव पदार्थों से स्वतंत्र रूप से उत्पन्न हुआ था। इस सिद्धांत के अनुयायियों का मानना है कि उच्च तापमान, विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाएं, और अन्य पर्यावरणीय तत्वों ने जीवन को उत्पन्न किया।
2.पृथ्वी पर से उच्च प्राणी (Panspermia): इस सिद्धांत के अनुयायी मानते हैं कि जीवन की बीजें या अदृश्य जीवाणु पृथ्वी पर से बाहर से आईं, या सौर मंडल से आईं, और इसने पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत की।
स्वयंउत्पन्नि (Spontaneous Generation): इस सिद्धांत के अनुयायी मानते हैं कि जीवन स्वयं ही अपूर्व स्थितियों से उत्पन्न होता रहा है, जैसे कि गंधक से कीटाणु उत्पन्न हो सकता है।
यह सभी सिद्धांत वैज्ञानिक समुदायों के बीच विवादास्पद हैं और इस पर शोध और अध्ययन जारी है। जीवन की उत्पत्ति का यह रहस्य अभी तक हल नहीं हुआ है, और यह एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है।
बिना हड्डी का जानवर कौन सा है?
बिना हड्डी वाले जानवरों को अकड़ा (Invertebrates) कहा जाता है। इसमें कई प्रकार के जीवाणु, कीटाणु, मोलस्क, और अन्य जीवाणुओं को शामिल किया जा सकता है। इनमें कोई स्पष्ट हड्डी नहीं होती है, और वे अपनी शरीर संरचना को सुरक्षित रखने के लिए अन्य संरचनाओं का उपयोग करते हैं।
कुछ उदाहरण:
1.अर्थवाला (Annelids): कुच्छ जानवर जिनमें अर्थवाला (earthworms) शामिल हैं, हड्डियों की अभाव में जीवन जीते हैं।
2.इंशेक्ट्स (Insects): कीटाणुओं में से कई भी हड्डी नहीं होती है। उदाहरण के लिए, मक्खी, मेंढ़ा, और बीड़ी इनमें शामिल हैं।
3.मोलस्क (Mollusks): कुछ मोलस्क, जैसे कि स्नेल्स (snails) और सेपिया (cuttlefish), भी बिना हड्डी के होते हैं
चींटी की उम्र कितनी है?
चींटियों की उम्र इनके प्रजनन, आहार, और पर्यावरण के तत्वों पर निर्भर करती है। सामान्यत: एक चींटी की जीवनकाल सालों से लेकर कई वर्षों तक हो सकती है, लेकिन यह सुब प्रजातियों और उनके जीवन अवसरों पर भी निर्भर करता है।
कुछ प्रजातियों में, जैसे कि रेड आंट, जीवनकाल की अवधि 1-3 वर्षों के बीच हो सकती है। वे अपने पूरे जीवन में कई पीढ़ियों को प्रजनन कर सकती हैं।
हड्डियों की जीवनकाल अवधि में भी विविधता हो सकती है, और इसमें तत्परता, भौतिक पर्यावरण, और आहार के उपलब्धता का प्रभाव होता है
मनुष्य के कौन से अंग में हड्डी नहीं होती है?
मनुष्य के कई अंग हैं जिनमें हड्डी नहीं होती है, क्योंकि ये अंग सॉफ्ट टिश्यू से बने होते हैं। यह अंग शिरीषक हैं:
1.कंट्रिलेज (Cartilage): नाक, कान, श्रोणि, हड्डी की तरह कड़ी नहीं होती हैं, बल्कि इनमें कंट्रिलेज (cartilage) होता है जो नरम और आपूर्तिकांक्षी होता है।
2.इंटरवर्टीब्रल डिस्क (Intervertebral Disc): रीढ़ की हड्डी के बीच में स्थित इंटरवर्टीब्रल डिस्क भी हड्डी नहीं होता है, बल्कि इसमें एक जेलीवा बदल होता है जो चुरान और आपूर्तिकांक्षी की सुरक्षा करता है।
3.इयरलोब (Earlobe): कान के लोब में भी हड्डी नहीं होती है, बल्कि यह सॉफ्ट टिश्यू होता है।
इन अंगों में कंट्रिलेज और सॉफ्ट टिश्यू का होना हड्डी की तुलना में इन्हें और एक्शनेबल बनाता है और उन्हें समर्थन, आपूर्ति, और संवेदनशीलता प्रदान करने में मदद करता है