फलोपियन ट्यूब
फैलोपियन ट्यूब, जिन्हें गर्भनाली भी कहा जाता है, महिलाओं के प्रजनन तंतु (रेहा) का हिस्सा हैं। इन ट्यूब्स की संख्या महिला की प्रति ओवरी या अंडानुवांशीय डिम्ब से डीटेमिन होती है, जिससे वे अंडानुवांशीय डिम्ब को ओवरी से गर्भाशय तक ले जाते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है:
1.आकार और स्थिति: फैलोपियन ट्यूबें लगभग 4 इंच लंबी होती हैं और ओवरी से गर्भाशय की ओर बढ़ती हैं।
2.भूमिका: इन ट्यूबों की मुख्य भूमिका अंडानुवांशीय डिम्ब को ओवरी से गर्भाशय की ओर पहुंचाना है, जहां बुआई या गर्भाधान हो सकता है।
3.बुआई: यहां होता है जो अंडानुवांशीय डिम्ब को गर्भाशय में स्थानीय करने में मदद करता है। यह ट्यूब की एक आवश्यक भूमिका है जो गर्भनाली महिलाओं में महत्वपूर्ण है।
ये ट्यूबें महिलाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और गर्भाधान की प्रक्रिया में भी जिम्मेदार होती हैं।
आकार और स्थिति
जिसे ग्राफीयन डिम्ब भी कहा जाता है, एक महिला के ओवरी में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण संरचना है जो अंडानुवांशीय डिम्ब का हिस्सा है। यह डिम्ब अंडानुवांशीय डिम्ब का एक प्रमुख विकास स्थान है और गर्भाधान की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ग्राफियन फॉलिकल की मुख्य विशेषताएँ:
1.विकास: ग्राफियन फॉलिकल अंडानुवांशीय डिम्ब के विकास के दौरान बनता है। यह डिम्ब ओवरी में होता है और उसमें एक शिशु का विकास होता है।
2.अंडानुवांशीय डिम्ब का स्थान: ग्राफियन फॉलिकल अंडानुवांशीय डिम्ब को ओवरी में स्थानीय करता है और उसे बुआई के
लिए तैयार करता है।3.अंडानुवांशीय डिम्ब की प्रक्रिया: जब ग्राफियन फॉलिकल पूर्ण रूप से विकसित होता है, तो यह फूटकर एक मैट्यूर ओवुल को छोड़ता है, जिसे फॅलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय की ओर ले जाया जाता है। यही प्रक्रिया ओवुलेशन कहलाती है और इसके बाद गर्भाधान हो सकता है।
प्लेसेंटा, गर्भावस्था में मातृ और शिशु के बीच संबंध स्थापित करने वाला एक महत्वपूर्ण उपाधि है, और इसमें कई प्रकार हो सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्लेसेंटा के प्रकार हैं:
1.सिरिएटा प्लेसेंटा (Circumvallate Placenta): इस प्रकार की प्लेसेंटा में, प्लेसेंटा का केंद्र हृदय रेखा के पास होता है और इसके चारों ओर एक पतला क्षेत्र होता है जिसे "रिंग" कहा जाता है।
2.बाटलेर प्लेसेंटा (Battledore Placenta): इस प्रकार की प्लेसेंटा में नाविक तारा जैसा होता है, जिसमें नाविक तारा बाहर की ओर होता है और इसके केंद्र में नहीं होता है।
3.गोता प्लेसेंटा (Bilobed Placenta): इस प्रकार की प्लेसेंटा में दो अलग-अलग भाग होते हैं, जो आमतौर पर दोनों ओवारीयन अंडानुवांशीय डिम्बों के पास स्थित होते हैं।
4.सुब-सीरेटा प्लेसेंटा (Sub-circumvallate Placenta): इसमें प्लेसेंटा का एक हिस्सा सीरेटा प्लेसेंटा की तरह होता है, लेकिन इसका आकार छोटा होता है।
5.सीरेटा प्लेसेंटा (Circummarginate Placenta): इस प्रकार की प्लेसेंटा में प्लेसेंटा का बाहरी केंद्र तीव्रता से उच्च होता है, और इसका छोटा हिस्सा गोलाकार होता है।
ये प्रकार की प्लेसेंटा विभिन्न रूपों में पाई जा सकती हैं और इनमें हर एक का अपना विशिष्ट रूप होता है जो गर्भावस्था के दौरान समझना महत्वपूर्ण है।
aortic arch
आरोटिक आर्च शीर्षवाहिका वृद्धि (aortic arch) या सीधे स्थानीय रूप से आरोटा कहा जाता है, वह महत्वपूर्ण धमनी है जो ह्रदय से निकलती है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में शुरू होने वाली विभिन्न शाखाओं में विभाजित होती है। यह शीर्षवाहिका वृद्धि नसों का एक महत्वपूर्ण नेटवर्क है जो रक्त को शरीर में पहुंचाने का कार्य करता है।
आरोटिक आर्च के मुख्य शाखाएं हैं:
1.ब्रचियोसेफेलिक आर्च (Brachiocephalic Arch): यह शाखा सबसे पहली होती है और इसमें दो मुख्य शाखाएं होती हैं - दाईं ब्रचियोसेफेलिक आर्च और वाम भौगोलिक आर्च।
2.वाम भौगोलिक आर्च (Left Subclavian Artery): यह आर्च वाम हाथ की भौगोलिक धमनी को स्थानीय करती है।
3.दाईं ब्रचियोसेफेलिक आर्च (Right Brachiocephalic Artery): इस आर्च से वाम हाथ और सिर क्षेत्र की अनेक अंगों को रक्त पहुंचता है।
4..वाम आरोटिक आर्च (Left Aortic Arch): यह आर्च वाम हृदय की ओर से उत्पन्न होती है और रक्त को शरीर के वाम हिस्सों में पहुंचाती है।
आरोटिक आर्च शरीर के शिराओं और उपायुक्त स्थानों को सुप्लाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसकी सही चालने के लिए शरीर के सामान्य स्वास्थ्य का मुहाल होता है।
पाचन तंतु मुख से शुरू होकर अंत में आता है और इसे हिंदी में "पाचन तंतु" या "पाचन तंतुक" कहा जाता है। यह शरीर का एक महत्वपूर्ण तंतु है जो आहार को प्रबंधित करने और पोषण को शरीर में सुरक्षित करने का कार्य करता है। यहां मुख से शुरू होकर पाचन तंतु के मुख्य भागों का संक्षेप है:
1.मुख (Mouth): आहार का संबोधन मुख से होता है, जहां खाद्य पदार्थों को बुआई में टूटा जाता है। यहां अमिलेस, जैसे कि अमिलेस, खाद्य को टूटने में मदद करते हैं।
2.गला (Pharynx): मुख से खाद्य गले में जाता है, जहां वायरस को रोकने और हड्डी को सुरक्षित करने के लिए एक चिकनी परत बनती है।
3.इसोफेगस (Esophagus): गला से खाद्य को पाचन तंतु के द्वारा पेट की ओर ले जाने के लिए इसोफेगस में जाता है।
4.पेट (Stomach): इसोफेगस के बाद, खाद्य पेट में पहुंचता है, जहां आम तौर से पाचन शुरू होता है। पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड और एंजाइम्स की मदद से खाद्य को तोड़ा जाता है।
5.अग्नाशय (Small Intestine): पेट से खाद्य का बायां कण्ठ में एक बारीक पदार्थ, या काइम, बनाने के लिए अग्नाशय में पहुंचता है। यहां पोषण लब्ध होता है और आधिकांश पोषण खून के माध्यम से शरीर में पहुंचता है।
6.बड़े आग्नाशय (Large Intestine): अग्नाशय से अधिशेष पानी और पोषण को शांत करने के लिए बड़े आग्नाशय में पहुंचता है। यहां आंतरीय पोषण का अंश शोधित होता है और शेष मल के रूप में बाहर निकलता है।
6.मलन (Anus): मल का अंतिम चरण है जो मल को शरीर से बाहर निकालता है।
यह प्रक्रिया खाद्य को उपयोगी पोषण में बदलती है जो शरीर के सभी अंगों को सही से कार्य करने के लिए आवश्यक है।
हृदय वर्टीब्रेट सीरीज़ में एक महत्वपूर्ण अंग है, और इसमें प्रजनन तंतु के रूप में बहुत समानताएँ होती हैं। यहां हृदय की तुलनात्मक विवरण है:
मात्रा और संरचना:
- 1.ममले (Mammals): ममलों का हृदय चार घेरे होते हैं, जिनमें दो ओर का बायां और दाहिना ओर का अत्यंत कमजोर होता है।
- 2.पक्षी (Birds): पक्षीयों का हृदय तीन घेरे में बाँटा जाता है, जिनमें से एक काफी मजबूत होता है और जिम्मेदारी निभाता है।
- 3.रेप्टाइल्स (Reptiles): रेप्टाइल्स का हृदय चार घेरों में बाँटा जाता है, लेकिन इसमें से केवल दो वास्तविक रूप से काम करते हैं।
- 5.अम्फिबियन्स (Amphibians): अम्फिबियन्स का हृदय दो घेरों में बाँटा जाता है, जो अंडानुवांशीय और लवयु दोनों के लिए काम करते हैं।
- 6.मात्स्यिकी (Fish): मात्स्यिकी के हृदय केवल एक घेरे में होता है, जो रक्त को केंद्रीय तंतु से पुंजीयता से प्रबंधित करता है।
रक्त पुंजीयता:
- 1.ममले (Mammals): ममलों में हृदय चार पुंजीयता से रक्त प्रेषित करता है, जिसमें दो बायां और दो दाहिना होता है।
- 2.पक्षी (Birds): पक्षीयों में भी तीन पुंजीयता होती है, जिनमें से एक बहुत शक्तिशाली होती है और पूरे शरीर में रक्त को प्रेषित करती है।
- 3.रेप्टाइल्स (Reptiles): रेप्टाइल्स में चार पुंजीयता होती है, लेकिन इसमें से केवल दो काम करते हैं।
- 4.अम्फिबियन्स (Amphibians): अम्फिबियन्स में भी दो पुंजीयता होती है, जिनमें से एक अंडानुवांशीय के लिए काम करती है और दूसरी प्रजनन सीजन के दौरान काम करती है।
- 5.मात्स्यिकी (Fish): मात्स्यिकी में एक पुंजीयता होती है, जो सीधे रक्त को पूंजीयता से प्रेषित करती है।