👉 पदार्थों का पृथक्करण
द्रव्यों का विभाजन एक महत्वपूर्ण विज्ञानिक प्रक्रिया है जो हमें विभिन्न पदार्थों को अलग करने में मदद करती है। यह विभाजन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, और यहां कुछ मुख्य विभाजन प्रक्रियाएं हैं:
1.उबाल (Evaporation): इस प्रक्रिया में, एक द्रव्य को गरम किया जाता है ताकि इसका तापमान बढ़े और यह वाष्प हो जाए। फिर, वाष्प को ठंडा करके उसे वाष्पायन कीटल में संग्रहित किया जा सकता है।
2.उत्तेजन (Distillation): यह प्रक्रिया विभिन्न द्रव्यों को उनके विभिन्न बिंदुओं पर उत्तेजित करके वाष्प बनाने का एक तरीका है। फिर, वाष्प को ठंडा करके उसे शुद्ध द्रव्य के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।
3.फिल्ट्रेशन (Filtration): इस प्रक्रिया में, एक विशिष्ट आकृति के साथ एक तरल द्रव्य को छलना दिया जाता है ताकि ठोस अंश को छोड़ा जा सके और उपयुक्त तरल भाग को बाहर निकाला जा सकता है।
4.उत्तेजन तथा उबाल (Sublimation and Evaporation): कुछ द्रव्यों को सीधे उत्तेजित करके उन्हें वाष्प बनाना या उन्हें उबालकर वाष्प बनाना भी एक तरीका है।
5.उत्तेजन (Decantation): इस प्रक्रिया में, एक तरल द्रव्य को सावधानीपूर्वक से अलग करने के लिए धीरे-धीरे उसका ऊपरी भाग बाहर निकाला जाता है।
6.क्रिस्टलीजेशन (Crystallization): यह प्रक्रिया एक तरल द्रव्य को समाप्त तापमान पर ठंडा करने के बाद उसे ठंडा होने पर ठोस रूप में प्राप्त करने की प्रक्रिया है।
👉विभिन्न द्रव्यों को अलग करने के लिए विभिन्न विधियाँ हैं, जिन्हें हम "विभाजन की विधियाँ" कह सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख विभाजन की विधियाँ हैं:
1.उत्तेजन (Distillation): इसमें द्रव्यों को उबालकर उनके वाष्प में परिणामित वाष्प को ठंडा करके उन्हें अलग किया जाता है। यहां वाष्प का पुनः संघटन होता है और शुद्ध द्रव्य मिलता है।
2.फिल्ट्रेशन (Filtration): इसमें एक छलन का उपयोग होता है जो ठंडे हो जाने पर ठोस अंशों को रोककर तरल अंशों को गुजारा जाता है।
3.उबाल (Evaporation): इसमें एक द्रव्य को गरम किया जाता है ताकि इसका तापमान बढ़े और यह वाष्प हो जाए। फिर ठंडा करने से वाष्पायित द्रव्य प्राप्त होता है।
4.चयन (Sublimation): कुछ द्रव्य सीधे उत्तेजित होते हैं और वाष्प में परिणामित होते हैं बिना ठोस रूप में परिणामित होने के बिना।
5.उत्तेजन (Decantation): इसमें एक तरल द्रव्य को धीरे-धीरे उसके ऊपर से बाहर निकाला जाता है ताकि ठोस अंशों को छोड़ा जा सके।
6.व्यापकन (Centrifugation): इस प्रक्रिया में, एक ऊर्ध्वाधर चक्की का उपयोग करके ताजगी के बाल को विचलित किया जाता है, जिससे ठोस अंश बाहर निकलते हैं।
7.क्रिस्टलीजेशन (Crystallization): इस प्रक्रिया में, एक तरल द्रव्य को ठंडा करके उसे ठोस रूप में प्राप्त किया जाता है, जिसमें क्रिस्टल बनते हैं।
ये विधियाँ द्रव्यों को अलग करने के लिए उपयोग होती हैं और उन्हें उपयुक्त रूप में प्राप्त करने में मदद करती हैं। आप किस तरह के विभाजन की विधि के बारे में और जानकारी चाहेंगे?
हैंडपिकिंग एक सरल और प्राचीन विभाजन पद्धति है जिसमें द्रव्यों को हाथों से छाना जाता है। यह उस सामग्री को अलग करने का तरीका है जिसमें वास्तविक और उपयुक्त विभाजन की आवश्यकता होती है।
हैंडपिकिंग की कुछ मुख्य विशेषताएं:
उदाहरण: हैंडपिकिंग का उदाहरण यह हो सकता है कि जब किसी स्वरूप की धूप द्वारा सुखाई गई दाल में कच्चे या कूचे दाने को हाथों से छाना जाता है।
1.सुविधा: हैंडपिकिंग सरलता के साथ किया जा सकता है और यह बिना किसी विशेष यंत्र या उपकरण के किया जा सकता है।
2.उपयोगिता: इस तकनीक का उपयोग विशेष रूप से छोटे-छोटे राज्यों या गाँवों में जहां सामाजिक संबंध और सामाजिक साजगर्मी की स्तिथियाँ होती हैं, मुख्यत: होता है।
3.सीमित उपयोग: हैंडपिकिंग की सीमा यह है कि इसे केवल वहां तक ही किया जा सकता है जहां बहुत अच्छे से समझा जा सकता है कि कौन से धाने या चीजें विभाजित करनी हैं।
समय और श्रम की बचत: हैंडपिकिंग से समय और श्रम की बचत हो सकती है, लेकिन यह बड़े पैम्बर क्षेत्रों में अधिक समय का साविधानिक प्रक्रिया नहीं है।
इस पद्धति का उपयोग विशेषकर छोटे पैम्बर क्षेत्रों में किया जाता है जहां उच्चतम तकनीकी यंत्रों की कमी होती है और धान, दाल, या अन्य सामग्री को छानने की आवश्यकता होती है।
थ्रेशिंग (Threshing) एक कृषि प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य अनाज से अनाज की छिलके को हटाना है। इस प्रक्रिया का उपयोग मुख्यत: धान, गेहूँ, और अन्य अनाजों के साथ किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो किसानों को अनाज को प्राप्त करने में मदद करता है।
थ्रेशिंग की प्रक्रिया:
1.अनाज को सुरक्षित स्थान पर लाना: पहले, किसान अनाज को खेत से बंधक और ठोकरों के साथ बुंडेलों में लाता है।
2.थ्रेशिंग मशीन का उपयोग: अनाज को ठोकरों में लाने के बाद, थ्रेशिंग मशीन का उपयोग किया जाता है। यह मशीन धान और अन्य अनाज की छिलके को हटा देती है।
3.विभिन्न थ्रेशिंग मशीनों का उपयोग: विभिन्न प्रकार की थ्रेशिंग मशीनें होती हैं, जैसे कि फ्लेल थ्रेशर, पेडल थ्रेशर, और कॉम्बाइन थ्रेशर।
4.छिलके को अलग करना: थ्रेशिंग के बाद, अनाज की छिलके को अलग करने के लिए अलग-अलग मेथड्स का उपयोग किया जा सकता है।
5.संग्रहण: अनाज को छिलके हटाने के बाद, शुद्ध अनाज को संग्रहित किया जाता है और इसे बाजार में पहुंचाया जा सकता है।
थ्रेशिंग का उद्देश्य यह है कि अनाज से अनाज की छिलके को निकालकर उपयुक्त रूप में तैयार किया जा सके और उसे बाजार में प्रस्तुत किया जा सके।
एक प्रक्रिया है जिसमें अनाज को हवा की मदद से छिलके से अलग किया जाता है। यह एक पुरानी और सामान्यत: हस्तकला तकनीक है जो किसानों द्वारा अपनी फसल को साफ करने के लिए काम में लाई जाती है।
विनोइंग की प्रक्रिया:
1.अनाज को उड़ाना (Threshing): पहले, थ्रेशिंग मशीन या हाथी ठोकरों का उपयोग करके अनाज की छिलके को हटा दी जाती है। इसके बाद, अनाज में छिपी कानपूरी या हुस्क को हटाने के लिए धूप में सुखाया जा सकता है।
2.विनोइंग मशीन का उपयोग: विनोइंग मशीन, जिसे विनोइंग फैन भी कहा जाता है, को अनाज को विभिन्न हवा की शक्ति का उपयोग करके छिलके से अलग करने के लिए उपयोग किया जाता है।
3.विनोइंग प्लेटफॉर्म: किसान विनोइंग प्लेटफॉर्म पर अनाज को ऊपर से नीचे गिराता है। हवा की शक्ति के कारण, अनाज का भार हल्का होता है और छिलका भूमि पर गिर जाता है।
4.छिलके का हटाना: इसके बाद, विनोइंग प्रक्रिया के दौरान छिलका हवा के साथ उड़ जाता है, और शुद्ध अनाज विनोइंग प्लेटफॉर्म पर बचा रहता है।
5.विनोइंग प्रणाली का उपयोग: विनोइंग प्रणाली मुख्यत: वायुमंडल, कुरुवा, और सर्कुलर विनोइंग प्रणाली की तीन प्रमुख प्रकारों में कार्य करती है।
विनोइंग का उद्देश्य है किसानों को अपनी फसल को शुद्ध करने में मदद करना, जिससे वे बाजार में बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकें।
सीविंग (Sieving)
एक प्रक्रिया है जिसमें ठोस अणुओं को छानने के लिए सीव या छलन का उपयोग किया जाता है। यह एक सामान्य और प्रभावी तरीका है जो अणुओं को विभिन्न आकार या वजन की कणों में विभाजित करने में मदद करता है।
सीविंग की प्रक्रिया:
1.उपकरण का चयन: सीविंग के लिए उपकरण का चयन किया जाता है, जिसमें सीव (छलन) शामिल होता है। यह सीव विभिन्न आकार और आकृतियों में उपलब्ध हो सकता है।
2.ठोस सामग्री को सीविंग मशीन में डालना: ठोस सामग्री को सीविंग मशीन में डाला जाता है। यह सामग्री सीव (छलन) के ऊपर होती है।
3.हिलाना या गोलीयों का उपयोग: सीविंग मशीन को हिलाने या गोलियों का उपयोग करके, सामग्री को सीव (छलन) के माध्यम से होने वाले छलन को मात्रिका की बड़ी कणों से लेकर छोटी कणों तक विभाजित किया जाता है।
4.सामग्री का विभाजन: सीविंग प्रक्रिया के बाद, सामग्री को विभिन्न आकार या वजन की कणों में विभाजित किया जाता है।
5.छलन से बाहर निकालना: सीविंग पूरी होने के बाद, छलन से बाहर निकाली जाती है, और सामग्री को विभिन्न कणों में विभाजित धारित किया जा सकता है।
सीविंग का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, औद्योगिक प्रक्रियाएं, और औद्योगिक उत्पादन। यह सामग्री को अच्छे से विभाजित करने और शुद्ध करने में मदद करता है।
ठहराव (Sedimentation):
डीकैन्टेशन (Decantation):
फिल्ट्रेशन (Filtration):
वाष्पीकरण (Evaporation)
एक प्रक्रिया है जिसमें एक द्रव्य को ठंडा करने और उसे वाष्प बनाने के लिए उसको उबाला जाता है। इस प्रक्रिया में, द्रव्य के कणों को उच्चतम तापमान पर लाने से उनकी ऊर्जा बढ़ती है और वे वाष्प बन जाते हैं। यह एक सामान्य तापीय प्रक्रिया है जो प्राकृतिक रूप से घटित होती है और जीवन के अनेक क्षेत्रों में प्रभावी रूप से प्रयुक्त होती है।
वाष्पीकरण की मुख्य विशेषताएं:
1.तापमान का प्रभाव: वाष्पीकरण में, द्रव्य को ठंडा करने के लिए उच्चतम तापमान पर पहुंचाया जाता है, जिससे उसके कण ऊचे तापमान पर जाकर वाष्प बनते हैं।
2.प्राकृतिक प्रक्रिया: यह प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से बहुतरह से हो सकती है, जैसे कि वायुमंडल में पानी के ठंडे होने से वाष्पीकरण।
3.वाष्पीकरण का उपयोग: वाष्पीकरण का उपयोग जल, सोलर एनर्जी प्राप्ति, और उदाहरण के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
4.जल संग्रहण: वाष्पीकरण के बाद, वाष्प को ठंडा करके उसे पानी के रूप में बदला जा सकता है, जिससे साफ और उपयुक्त पानी प्राप्त होता है।
वाष्पीकरण एक महत्वपूर्ण तापीय प्रक्रिया है जो वायुमंडल, समुद्र, और अन्य स्रोतों से प्राकृतिक रूप से होती है और हमारे प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित रखने में मदद करती है।
क्या पानी किसी को घोल सकता है?किसी पदार्थ की मात्रा
नहीं, पानी किसी भी पदार्थ को अनगिनत मात्रा में घुला नहीं सकता है। पानी अच्छी तरह से घुलनशील है, लेकिन इसकी घुलनशीलता की हद होती है और हर पदार्थ की अपेक्षित मात्रा में पानी में घुला जा सकता है।
इसका कारण है कि हर पदार्थ की घुलनशीलता पानी में विभिन्न होती है और इसके साथ घुलने की क्षमता भी। कुछ पदार्थ पानी में अच्छे से घुलते हैं, जबकि दूसरे यह धीरे-धीरे होते हैं या बिलकुल नहीं होते हैं।
पानी की घुलनशीलता को "universal solvent" कहा जाता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह सभी पदार्थों को अनगिनत मात्रा में घुला सकता है। यह सिर्फ इसका मतलब है कि पानी अधिकांश पदार्थों को अच्छी तरह से घुला सकता है और एक बहुतरहीन घुलाने वाला है।
Good Blog
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