👉 इन्हे "आनुवंशिकी और विविधता के सिद्धांत" कहा जाता है। ये जीवों में विशेषता और विविधता की उत्पत्ति और विकास के सिद्धांतों को विवेचित करते हैं। किसी भी जीव की ऊर्जा, गुण, और लक्षणों को उसके माता-पिता से आनुवंशिक रूप से प्राप्त होने वाले जीवाणुओं द्वारा निर्धारित किया जाता है। किसी भी जीव में आनुवंशिकी के माध्यम से होने वाले विविधता के कारण उसमें विभिन्न रूप, रंग, और गुण होते हैं।
आनुवंशिकी और विविधता के सिद्धांत ?
आनुवंशिकता के तीन सिद्धांत प्रभुत्व, पृथक्करण और स्वतंत्र वर्गीकरण हैं। प्रभुत्व का नियम बताता है कि विभिन्न एलील एक दूसरे के साथ कैसे संपर्क करते हैं और जो संतानों में प्रदर्शित होता है।
विविधता सिद्धांत - यह सहज धारणा कि विविध साक्ष्य, बाकी सभी समान, अधिक प्रेरक, विचारोत्तेजक, पुष्टिकारक, या अन्यथा साक्ष्य के कम विविध सेटों से बेहतर हैं - वैज्ञानिक अभ्यास का एक स्पष्ट घटक है और वैज्ञानिकों और दार्शनिकों द्वारा समान रूप से समर्थित है।
👉ग्रेगर जोहन मेंडेल ने आनुवंशिकी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों की खोज की थीं। उनके सिद्धांतों को "मेंडेल के आनुवंशिकी सिद्धांत" कहा जाता है। इनमें कुछ मुख्य सिद्धांतों में शामिल हैं:
1.मेंडेल का पहला सिद्धांत (पूर्णवर्गीयता का सिद्धांत): इसके अनुसार, जब दो समान प्रकार के जीवाणुओं का गर्भनिर्माण होता है, तो उनमें से केवल एक ही प्रकार के लक्षण ही स्थायी रूप से प्रवृत्ति करते हैं।
2.मेंडेल का दूसरा सिद्धांत (संयुक्ती का सिद्धांत): इसके अनुसार, जीवाणुओं के गर्भनिर्माण में एक से अधिक लक्षणों का संयुक्त समावेश हो सकता है, लेकिन ये लक्षण स्वतंत्र रूप से प्रवृत्ति करते हैं और एक दूसरे के प्रवृत्ति में हस्तक्षेप नहीं करते हैं।
3.मेंडेल का तृतीय सिद्धांत (स्वतंत्र विभाजन का सिद्धांत): इसके अनुसार, जीवाणुओं के गर्भनिर्माण में विभिन्न लक्षणों के लिए अलग-अलग विशेष गुणक उपस्थित होते हैं और ये गुणक स्वतंत्र रूप से विभाजित होते हैं।
👉एक जीन की आनुवंशिकी में, मेंडेल के सिद्धांतों के अनुसार, हम एक ही जीन के दो आलेल को विचार कर सकते हैं। आलेल वे विभिन्न रूपों में होते हैं जो एक ही जीन की लोकेशन पर स्थित होते हैं। आइए इसको विस्तार से समझें:
1.होमोजाइगट (एकसम): जब किसी जीवाणु के दोनों आलेल एक जैसे होते हैं, तो उसे होमोजाइगट कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी जीवाणु के दोनों आलेल लाल रंग के होते हैं, तो उसे होमोजाइगट लाल कहा जाएगा।
2.हेटेरोजाइगट (विषमसम): जब किसी जीवाणु के दोनों आलेल अलग होते हैं, तो उसे हेटेरोजाइगट कहा जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी जीवाणु का एक आलेल लाल और एक आलेल पीला हो, तो उसे हेटेरोजाइगट लाल-पीला कहा जाएगा।
1.डिहाइब्रिड क्रॉस (Dihybrid Cross): दो जीनों की संयोजन को दिखाने के लिए मेंडेल ने डिहाइब्रिड क्रॉस का उपयोग किया। इसमें, दो विभिन्न जीनों के आलेलों के संयोजन का प्रदर्शन किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि हम वृष्टि की रंगीनता और बीज की सत्ता के लिए दो विभिन्न जीनों को ध्यान में लें, तो हम दो जीनों की आनुवंशिकी को दिखा सकते हैं।
2.जीनों का स्वबदली (Gene Linkage): कई बार, दो जीनों के आलेल एक साथ प्रदर्शित होते हैं और इसे जीन लिंकेज कहा जाता है। इसका मतलब, जो आलेल एक साथ होते हैं, वे आमतौर पर एक साथ विरासत में मिलते हैं।
यह आनुवंशिकी क्षेत्र बहुत जटिल हो सकता है, और इसमें विभिन्न आलेलों के संयोजन का प्रदर्शन होता है, जो नए विशेषताओं और गुणों की रचना में सहायक हो सकते हैं।
1.XX-XY सिस्टम (मानव और सबसे अधिक स्थानीयता में): महिलाएं XX क्रॉमोसोमों के साथ आती हैं और पुरुषों के पास XY क्रॉमोसोम होते हैं। शुक्राणु जो एक शिशु की जनन क्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं, एक शुक्राणु जिसमें एक Y क्रॉमोसोम है, पुरुष जनित बच्चा पैदा करता है, जबकि एक शुक्राणु जिसमें कोई Y क्रॉमोसोम नहीं है, महिला जनित बच्चा पैदा करता है।
2.ZW-ZZ सिस्टम (कुछ पक्षियों और कुछ क्रैवेटियन्स में): महिलाएं ZW क्रॉमोसोमों के साथ आती हैं और पुरुषों के पास ZZ क्रॉमोसोम होते हैं। यहां, अंडाणु जो जनन क्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं, एक अंडाणु जिसमें Z क्रॉमोसोम है, महिला जनित बच्चा पैदा करता है, जबकि एक अंडाणु जिसमें कोई Z क्रॉमोसोम नहीं है, पुरुष जनित बच्चा पैदा करता है।
यह लिंग निर्धारण के सिस्टम जीवों के लिए स्वाभाविक तरीके से निर्धारित होते हैं और जीवों के लिंग की निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1.धारित्रीय म्यूटेशन (वार्गिक): इस प्रकार की म्यूटेशन एक जीवन्त पदार्थ की वार्गिक विकास में होती है, जिससे उसकी विशेषताएँ बदल सकती हैं।
2.जीवन यापन के लिए म्यूटेशन (सोमेटिक): इस प्रकार की म्यूटेशन शरीर के सोमेटिक या शरीरिक कोशिकाओं में होती है और इसे उस व्यक्ति के साथ ही सीमित रहती है, और यह व्यक्ति की आनुवंशिक सार्थकता पर प्रभाव नहीं डालती है।
3.जनन म्यूटेशन: इस प्रकार की म्यूटेशन जीवनशैली या आनुवंशिक बदलाव की ओर बढ़ सकती है, क्योंकि इसे वंशानुवंशी रूप से आगे बढ़ा जा सकता है।
1.डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome): इसमें व्यक्ति का क्रोमोसोम संख्या 21 तीन बजाय दो होता है। इससे बुद्धिमत्ता में कमी, शारीरिक विकास में विशेषता, और सामाजिक अनुपस्थितियाँ हो सकती हैं।
2.हंटिंगटन की बीमारी (Huntington's Disease): यह एक मानसिक रोग है जो जीवन के किसी भी समय व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसमें विशेष जीन के बदलाव के कारण शारीरिक संयोजन और मानसिक चुनौतियाँ हो सकती हैं।
3.सीस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis): इस रोग में मुक्तिकंड और श्वसन मार्ग के तंतुओं में गाढ़ा मल संचित होता है, जिससे श्वसन में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
4.हेमोफिलिया (Hemophilia): इस रोग में रक्त थक्का बनाने में कठिनाई होती है, जिससे चोटों से बहुत अधिक रक्तनिकारण हो सकता है।
इन आनुवांशिक विकारों का सामाजिक, चिकित्सा, और पैदाईक प्रबंधन के लिए विशेषज्ञों की सहायता की आवश्यकता हो सकती है।