👉चेचक एक अत्यधिक संक्रामक और संभावित रूप से गंभीर बीमारी है जो बुखार, लाल चकत्ते, खांसी और लाल पानी वाली आंखों का कारण बनती है। यह मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने के बाद हवा के माध्यम से फैलता है।
चेचक के लक्षण संक्रमण के सात से 21 दिन बाद शुरू होते हैं। चेचक लाल चकत्ते के प्रकट होने के लगभग चार दिन पहले से लेकर चार दिन बाद तक संक्रामक होता है। विशिष्ट चेचक लाल चकत्ते होने से पहले ही लोग चेचक फैला सकते हैं।
चेचक के संपर्क में आने वाले सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों में वें लोग शामिल हैं जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है, गर्भवती महिलाएँ, छह महीने से कम उम्र के शिशु और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग।यदि निम्न में से कोई भी लागू होता है तो एक व्यक्ति को चेचक से प्रतिरक्षित माना जाता है:- आपका जन्म 1957 से पहले हुआ था
- आपके ब्लड टेस्ट का परिणाम आपकी चेचक के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को दर्शाता है
- आप निश्चित हैं कि आपको पहले भी किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा चेचक से संक्रमित पाया गया है
- आप चेचक के टीके पर अप-टू-डेट हैं (12 महीने से तीन साल की उम्र के बच्चों के लिए एक खुराक, चार साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए दो खुराक)।
निम्न सारणी स्थानीय स्तर पर चेचक के मामलों में फ्रीक्वेन्सी की रिपोर्ट दर्शाती है:
वर्ष | स्नोहोमिश काउंटी | वाशिंगटन राज |
2017 | 0 | 3 |
2018 | 6 | 8 |
2019 | 1 | 90 |
2020 | 0 | 1 |
2021 | 0 |
छिटपुट मामलों और छोटे सामूहिक मामलों की शुरुआत आमतौर पर दूसरे देश से यात्रा के द्वारा होती है जहाँ चेचक अधिक व्यापक होता है। बड़े प्रकोपों का बीज अक्सर इसी तरह बोया जाता है, लेकिन अगर वायरस कम टीकाकरण कवरेज वाले नेटवर्क या समुदाय में प्रवेश करता है तो फलता-फूलता है। जबकि चेचक टीकाकरण की 2-खुराक सुरक्षित है और उपयोग में सबसे प्रभावी और टिकाऊ टीकों में से एक हैं, फिर भी पूरी तरह से टीकाकरण वाले व्यक्ति भी कभी-कभी चेचक पकड़ सकते हैं। 2019 के प्रकोप में, हालांकि, केवल 4% मामले पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों में थे।
कई तरह की ऐसी बीमारियां हैं, जिनके बारे में हम पूरी तरह नहीं जानते लेकिन अगर वो हमें हो जाए तो हम काफी घबरा भी जाते हैं। ऐसी ही एक बीमारी है चेचक। इस बीमारी के दौरान लोग घबरा जाते हैं और कई लोग तो इसमें झाड़-फूंक तक करवाने लगते हैं। तो चलिए आपको बिना देर किए बताते हैं कि आखिर ये चेचक की बीमारी होती क्या है, इसके होने के पीछा के कारण क्या हैं और इससे आराम पाने के घरेलू उपाय क्या हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं।
चिकन पॉक्स को चेचक या छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है. यह एक वायरल बिमारी है जो एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में फैलता है. यह वरिसोला ज़ोस्टर नामक वायरस के इन्फेक्शन से होता है. यह रोग हवा के माध्यम से या लार, कफ और संक्रमित व्यक्ति के दानों से निकलने वाले फ्लूइड के संपर्क में आने से फैलता है. जब तक चेचक के दाने सूख नहीं जाते है तब तक संक्रमित व्यक्ति द्वारा इन्फेक्शन फ़ैल सकता है. आमतौर पर वायरस के काॅंटेक्ट में आने के बाद लक्षणों को विकसित होने में लगभग 10-21 दिन लगते हैं.
चेचक के प्रमुख लक्षणों में पूरे शरीर में खुजली, लाल चकत्ते या दाने होना शामिल हैं. इसके अन्य लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना और मांसपे चिकन पॉक्स को चेचक या छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है. यह एक वायरल बिमारी है जो एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में फैलता है. यह वरिसोला ज़ोस्टर नामक वायरस के इन्फेक्शन से होता है. यह रोग हवा के माध्यम से या लार, कफ और संक्रमित व्यक्ति के दानों से निकलने वाले फ्लूइड के संपर्क में आने से फैलता है. जब तक चेचक के दाने सूख नहीं जाते है तब तक संक्रमित व्यक्ति द्वारा इन्फेक्शन फ़ैल सकता है. आमतौर पर वायरस के काॅंटेक्ट में आने के बाद लक्षणों को विकसित होने में लगभग 10-21 दिन लगते हैं.
चेचक के प्रमुख लक्षणों में पूरे शरीर में खुजली, लाल चकत्ते या दाने होना शामिल हैं. इसके अन्य लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना और मांसपेशियों का दर्द आदि हैं. ज्यादातर लोगों को चेचक से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है. यह नवजात शिशुओं में होने वाला एक सामान्य रोग है. यह गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में भी अधिक तेज़ी से फैलता है.
शियों का दर्द आदि हैं. ज्यादातर लोगों को चेचक से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है. यह नवजात शिशुओं में होने वाला एक सामान्य रोग है. यह गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में भी अधिक तेज़ी से फैलता है.
आमतौर पर चेचक के लक्षण दो हफ़्तों में कम या ठीक हो जाते हैं. आप कुछ घरेलू ट्रीटमेंट की मदद से इन लक्षणों को कम करने और खुजली से राहत प्राप्त कर सकते हैं. इसे ट्रीटमेंट द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वायरस का कोर्स समय से पहले खत्म नहीं होती है . उदाहरण के तौर पर खांसी, जुकाम आदि
चेचक के प्रमुख लक्षणों में पूरे शरीर में खुजली, लाल चकत्ते या दाने होना शामिल हैं. इसके अन्य लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना और मांसपे चिकन पॉक्स को चेचक या छोटी माता के नाम से भी जाना जाता है. यह एक वायरल बिमारी है जो एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में फैलता है. यह वरिसोला ज़ोस्टर नामक वायरस के इन्फेक्शन से होता है. यह रोग हवा के माध्यम से या लार, कफ और संक्रमित व्यक्ति के दानों से निकलने वाले फ्लूइड के संपर्क में आने से फैलता है. जब तक चेचक के दाने सूख नहीं जाते है तब तक संक्रमित व्यक्ति द्वारा इन्फेक्शन फ़ैल सकता है. आमतौर पर वायरस के काॅंटेक्ट में आने के बाद लक्षणों को विकसित होने में लगभग 10-21 दिन लगते हैं.
चेचक के प्रमुख लक्षणों में पूरे शरीर में खुजली, लाल चकत्ते या दाने होना शामिल हैं. इसके अन्य लक्षणों में बुखार, थकान, भूख न लगना और मांसपेशियों का दर्द आदि हैं. ज्यादातर लोगों को चेचक से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है. यह नवजात शिशुओं में होने वाला एक सामान्य रोग है. यह गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में भी अधिक तेज़ी से फैलता है.
शियों का दर्द आदि हैं. ज्यादातर लोगों को चेचक से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है. यह नवजात शिशुओं में होने वाला एक सामान्य रोग है. यह गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में भी अधिक तेज़ी से फैलता है.
आमतौर पर चेचक के लक्षण दो हफ़्तों में कम या ठीक हो जाते हैं. आप कुछ घरेलू ट्रीटमेंट की मदद से इन लक्षणों को कम करने और खुजली से राहत प्राप्त कर सकते हैं. इसे ट्रीटमेंट द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वायरस का कोर्स समय से पहले खत्म नहीं होती है . उदाहरण के तौर पर खांसी, जुकाम आदि
👉चेचक का घरेलू उपचार
चेचक के दानों में होने वाली खुजली और निशान से राहत पाने के कुछ घरेलु उपचार इस प्रकार हैं
- जई का आटा
चेचक होने पर बॉडी में बहुत तेज खुजली होती है. खुजली से बचने के लिए जई के आटे को पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए. इसे इस्तेमाल करने के लिए 2 लीटर पानी में 2 कप जई का आटा मिलाकर लगभग 15 मिनट तक उबालें, फिर पके आटे को एक कॉटन के बैग में अच्छी तरह से बांधकर बॉथ टब में डालकर बच्चे को नहलाएं. आधा कप भूरे सिरके को भी पानी में डालकर नहाने से शरीर में हो रही खुजली से निजात पायी जा सकती है. - हर्बल चाय
आप कैमोमाइल, तुलसी, मैरीगोल्ड और लेमन बाम जैसी औषधिय जड़ी-बूटियों से बनी हर्बल चाय का सेवन भी कर सकते हैं. इनमे से किसी भी एक जड़ी-बूटी की 1 चमच मात्रा को एक कप उबलते पानी में मिलाएं. इसे कुछ मिनट के लिए खौलने दें और फिर छान लें. इसमें थोड़ी सी दालचीनी, शहद और नींबू का रस मिलाएं और इसके बाद चाय का आनंद ले. इसके बेहतर परिणाम के लिए हर्बल चाय दिन में 2-3 बार ज़रूर पिएं. - लैवेंडर तेल
चिकन पॉक्स के पड़ने वाले दागों से छुटकारा दिलाने में लैवेंडर का तेल बहुत असरदार होता है. लैवेंडर के तेल को बादाम के तेल या नारियल तेल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्सों पर लगाएं. इस नुस्खे को दिन में दो बार दोहरायें, जिससे की आपको बेहतर परिणाम प्राप्त हो सके. वैकल्पिक रूप से, लैवेंडर और कैमोमाइल ऑयल की कुछ ड्रॉप्स गर्म पानी में डालें और इस पानी में लगभग 10 मिनट तक नहाएं. - नीम के पत्तों से
नीम को मार्गोसा के नाम से भी जाना जाता है. यह चेचक के इलाज के लिए उपयोग की जाती है क्योंकि इसमें एंटीवायरल गुण होते हैं. एक मुठी नीम की पत्तियां पीस कर उसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं. नहाने के पानी में नीम की पत्तियों का उपयोग भी प्रभावकारी होता है. भारतीय बकाइन भी चिकन पॉक्स के ट्रीटमेंट में प्रभावी है. - गाजर और धनिया का सूप
गाजर और धनिया से बना सूप चिकन पॉक्स के उपचार में बेहद फायदेमंद है. यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से संपन्न है जो चिकित्सा प्रक्रिया में सहायता करते हैं. 100 ग्राम गाजर और 60 ग्राम या आधा कप धनिया काट लीजिये. दो या एक चौथाई कप पानी में उबालिये और तब तक उबालिये जब तक आधा पानी वाष्पित न हो जाये. लगभग एक महीने तक इस सूप को दिन में एक बार पियें. आप ताकत बढ़ाने के लिए उबली गाजर और धनिया की पत्तियों का सेवन भी कर सकते हैं. - दलिया का स्नान
चेचक होने पर खुजली के लिए दलिया का स्नान एक सफल घरेलू उपचार है. दो कप दलिया को पाउडर के रूप में पीस लें. दलिया के पाउडर को दो लीटर गुनगुने पानी में डालें. 15 से 20 मिनट के लिए दलिया पाउडर को नहाने के पानी में भीगने दें. अब इस पानी से स्नान करें. - ब्राउन सिरके
चिकन पॉक्स के उपचार के लिए ब्राउन सिरका सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है. यह त्वचा की जलन और चिकन पॉक्स के दानों को ठीक करने में मदद करता है. साथ ही दानों के दाग पड़ने से भी बचाव करता है. आधा कप ब्राउन सिरका गुनगुने पानी में मिलायें और लगभग 10 से 15 मिनट तक इस पानी से स्नान करें. - बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा चिकन पॉक्स की खुजली और जलन को प्रबंधित करने में मदद करता है. एक गिलास पानी में आधा चम्मच बेकिंग सोडा मिलायें. इस मिश्रण को रुई या साफ़ मुलायम कपड़े की सहायता से बॉडी के प्रभावित हिस्सों पर लगाएं और सूखने दें. वैकल्पिक रूप से, अपने नहाने के पानी में आधा या एक कप बेकिंग सोडा मिलाएं और उससे स्नान करें. - शहद
शहद, चिकन पॉक्स में होने वाली खुजली से राहत प्रदान करता है और चिकन पॉक्स के दानों को भी ठीक करने में मदद करता है. अच्छी गुणवत्ता वाला शुद्ध शहद लें और इसे प्रभावित क्षेत्र पर इस्तेमाल करें. इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहरायें जब तक निशान न चले जायें. - अन्य तरीके
- हरी मटर को पानी में पकाइए, इसके पानी को शरीर में लगाइए, इससे चिकन पाक्स के लाल चकत्ते समाप्त होते हैं.
- शरीर में खुजली होने पर शरीर में लगाने वाला कोई भी पावडर लगाइए. अपने नाखून से चकत्तों को हटाने की कोशिश मत कीजिए, इससे यह फैलता है.
- लाल चकत्तों पर शहद लगाइए. शहद लगाने से चकत्ते समाप्त होते हैं. शहद लाल चकत्तों को हटाने का सबसे कारगर घरेलू नुस्खा है.
- चिकन पाक्स के समय खान-पान का उचित ध्यान रखें. मसालेदार और ऑयली खाना खाने से बचें.
- चिकनपॉक्स होने पर विटामिन ई का तेल लगायें. इससे जल्द आराम मिलता है.
- बाथ टब में ठंडा पानी लें और उसमें अदरक डालकर तीस मिनट तक छोड़ दें. उसके बाद इस पानी में बैठ जाएं. इससे चिकनपॉक्स की खुजली में आराम मिलता है.
- चिकनपॉक्स के किसी मरीज को कभी एस्प्रिन नहीं देनी चाहिए. इससे उसकी हालत खराब हो सकती है. और चिकनपॉक्स में बुखार होने पर बिना डॉक्टरी सलाह के कोई दवा न दें. चिकन पाक्स होने पर बाहर और भीड वाली जगह पर जाने से परहेज करें. हो सके तो इस दौरान लोगों से दूर रहें.